रोज हम अपने हाथ देखा करते है,
वो लकीर जो हमे दोस्तों से मिलायी उसे नापा करते है,,
कभी भिछड़ न जाए हम एक दूसरे से,
इसीलए उसे ऱोज चीर कर बढाया करते है,,
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