Ehsaas
Monday, March 29, 2010
कांटो के राहो पर हम चल रहे थे,
देने सहारा तुम मिले थे,,
अब कांटो के
राहे लग रहे है फूलों से भरे
,
जैसे चल रहे है हम बाग़ में खुशियों से भरे,,
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